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Showing posts from March, 2023

|| नाशपाती खाने के अनुठे लाभ ||

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    || नाशपाती खाने के अनुठे लाभ || 1. दस्त : नाशपाती के रस में बेल की गिरी का 3 ग्राम चूर्ण मिलाकर देने से दस्त का आना बन्द हो जाता है। 2. रक्तज अतिसार : नाशपाती के शर्बत में बेलगिरी (बेल पत्थर) या अतीस का चूर्ण बनाकर लेने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) में लाभ मिलता है। 3. बवासीर (अर्श) : नाशपाती के मुरब्बे के साथ नागकेसर को मिलाकर खाने से धीरे-धीरे बवासीर ठीक हो जाती है। 4. मूत्ररोग: आधा कप नाशपाती का रस रोजाना पीने से कुछ ही दिनों में पेशाब की सारी बीमारियां खत्म हो जाती हैं। 5. सिर दर्द : जिन लोगों के सिर में दर्द होता है और आराम नहीं होता वे नाशपाती के रस का सेवन भी कर सकते हैं, उन्हें रस में शक्कर मिलाकर पीना चाहिए इसे पीने से उनके सिरदर्द में आराम मिलेगा। 6. रक्त वमन : आयुर्वेदानुसार रक्त वमन में नाशपाती के शर्बत का सेवन बहुत ही लाभदायक माना गया है । इसका सेवन करने के लिए नाशपाती के शर्बत के साथ बेर की मींगी को पीसकर, फिर उसे नाशपाती के शर्बत में मिलाकर पिया जाता है। 7. अरूचि व अग्निमांध : जिनकी खाने के प्रति रूचि ना हो व जिन लोगों को मंदाग्नि रोग है उनके लिए नाशपाती क...

|| क्या है माइग्रेन ? जानें कारण एवं उपचार ||

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  *  क्या है माइग्रेन ? जानें कारण एवं उपचार ☆ आधा सिरदर्द (माईग्रेन) रोग क्या है ? : जब मनुष्य के सिर के आधे भाग में दर्द हो और आधे भाग में दर्द न हो तो उसे आधासीसी या माईग्रेन कहते हैं। ☆ आधा सिरदर्द (माईग्रेन) रोग के कारण : मानसिक व शारीरिक थकावट, अधिक गुस्सा करना, चिन्ता करना, आंखों का अधिक थक जाना, अत्यधिक रूप से भावनाओं में बहकर भावुक होना, भोजन का न पचना, किसी तरल पदार्थ को पीने से एलर्जी होना आदि माइग्रेन रोग के कारण हैं। ☆ आधा सिर दर्द का घरेलू उपाय : • पहला प्रयोगः सूर्योदय से पूर्व नारियल एवं गुड़ के साथ छोटे चने बराबर मात्रा में कपूर मिलाकर तीन दिन खाने से आधा सिर दर्द मिटता है। दूसरा प्रयोगः पीपर (पाखर) एवं वच का आधा-आधा ग्राम चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चाटने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) में लाभ होता है। तीसरा प्रयोगः गाय का शुद्ध ताजा घी सुबह-शाम 2-2 बूँद नाक में डालने से दर्द में लाभ होता है। चौथा प्रयोगः दही, चावल व मिश्री मिलाकर सूर्योदय से पहले खाने से सूर्योदय के साथ बढ़ने-घटने वाला सिरदर्द ठीक हो जाता है। यह प्रयोग कम-से-कम छः दिन करें। ☆ आधा सिर दर्द का आ...

|| * इतना फायदेमंद है "एलोवेरा" ||

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    *  इतना फायदेमंद है "एलोवेरा" ☆ एलोवेरा (ग्वारपाठा / घृतकुमारी ) क्या है? भारत में ग्वारपाठा या घृतकुमारी हरी सब्जी के नाम से प्राचीनकाल से जाना जाने वाला कांटेदार पत्तियों वाला पौधा है। आयुर्वेद में इसे घृतकुमारी की 'उपाधि मिली हुई है। औषधि की दुनिया में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इसकी 200 जातियां होती हैं। देखने में यह अवश्य अजीब-सा पौधा है लेकिन इसके गुणों का कहीं कोई अंत नहीं है। इस पौधे के पत्ते ही होते हैं जो ज़मीन से ही निकलते हैं, 3-4 फिट लम्बे और 3-4 इंच चौड़े होते हैं जिनके दोनों तरफ़ नुकीले कांटे होते हैं। ये पत्ते गहरे हरे रंग के मोटे, चिकने और गूदेदार होते हैं। जिन्हें छीलने पर घी जैसा गूदा निकलता है। इसीलिए इस वनस्पति को घृतकुमारी और घी गुवार भी कहा जाता है। ग्वार पाठे के उपयोग से कई आयुर्वेदिक औषधियां बनाई जाती हैं जिनमें रजः प्रवर्तनी वटी, कुमार्यासव, कुमारी पाक आदि और यूनानी दवाओं में हब्ब अयारिज़, हब्ब सिब्र आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। पेटेण्ट दवाओं में ऐलोपैथिक दवा एलोज़ कम्पाउण्ड (Alos compound) का मुख्य घटक द्रव्य ग्वार पाठा है। ☆ एलोवेरा के औषधीय...

|| अंगूर खाने के फायदे ! ||

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  ☆ अंगूर के औषधीय गुण : 1. पके अंगूर : पके अंगूर दस्त पर, शीतल, आंखों के लिए हितकारी, पुष्टिकारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाला, कसैला, मल तथा मूत्र को निकालने वाला, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), पौष्टिक, कफकारक और रुचिकारक है। यह प्यास, बुखार, दमा, खांसी , वात, वातरक्त (रक्तदोष), कामला (पीलिया), मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करने में कठिनाई होना), रक्तपित्त (खूनी पित्त), मोह, दाह (जलन), सूजन तथा डायबिटीज को नष्ट करने वाला है। 2. कच्चा अंगूर : कच्चे अंगूर गुणों में हीन, भारी, कफपित्त और रक्तपित्त नाशक है। 3. काली दाख या गोल मुनक्का : यह वीर्यवर्धक, भारी और कफ पित्त नाशक है। 4. ताजा अंगूर : रुधिर को पतला करने वाले छाती के रोगों में लाभ पहुंचाने वाले बहुत जल्दी पचने वाले रक्तशोधक तथा खून बढ़ाने वाले होते हैं। 5. किशमिश : बिना बीज की छोटी किशमिश मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), रूचिप्रद (भूख जगाने वाला) खट्टी तथा श्वास, खांसी, बुखार, हृदय की पीड़ा, रक्त पित्त, स्वर भेद, प्यास, वात, पित्त और मुख के कड़वेपन को दूर करती है। ☆ अंगूर के फायदे व और उपयोग : • बल एव...

|| अपने भोजन से अधिकतम प्राण कैसे प्राप्त करें? "भोजन सही तरीके से लें" ||

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 *   अपने भोजन से अधिकतम प्राण कैसे प्राप्त करें? "भोजन सही तरीके से लें" || *  उष्ण आहार (गर्म भोजन करें) गर्म भोजन का सेवन अधिक स्वादिष्ट और आसानी से पचने वाला होता है। गर्म भोजन वात अनुलोमना (मल को तोड़कर नीचे की ओर ले जाना) और कफ षोषण (कफ दोष को कम करता है) को बढ़ावा देता है। * स्निग्धा आहार (अच्छे वसा युक्त भोजन लें) स्निग्धा भोजन में बेहतर पाचन के लिए पाचन अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है। इस प्रकार के भोजन से शक्ति बढ़ती है और शरीर का निर्माण होता है। * मोन भोजनम (भोजन करते समय ध्यान दें) बिना हंसे और बोले चुपचाप भोजन करने से एरोफैगिया (हवा को निगलने) को रोका जा सकता है और उचित भोजन और संतुष्टि सुनिश्चित की जा सकती है। * अगला भोजन तब करना चाहिए जब भूख का अहसास हो, मल-मूत्र बाहर निकलने के बाद, शरीर में हल्कापन हो और पिछला भोजन पचने के बाद ही भोजन आसानी से पचने और ग्रहण करने के लिए हो। *  वीर्य विरुद्ध भोजन(असंगत भोजन न लें) उदाहरण के लिए, दूध और मछली, घी और शहद आदि का समान मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक माना जाता है क्योंकि यह पाचन के बाद विषा...