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Showing posts from February, 2023

|| उच्च रक्तचाप कैसे कम करें ? ( How to Reduce High Blood Pressure ? ) ||

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  उच्च रक्तचाप कैसे कम करें ? ( How to Reduce High Blood Pressure ? ) 1. मेथीदाना, बीजवाले अंगूर, लहसुन, नींबू का रस इसमें उतना ही पानी मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। 2. अदरक के रस में उतना ही पानी मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप ठीक होता है। 3. तुलसी व काली मिर्च खाएँ । 4. लहसुन को पीसकर दूध के साथ पीने से फायदा होता है। 5. 2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू रस सुबह- शाम लेने से रक्तचाप में फायदा होता है। 6. 1 कटोरी पुदीना + थोड़ी सी काली मिर्च का पाउडर, थोड़ा सा पानी डालकर पीस लें। सुबह-शाम इसे खाना खाने के साथ लेने से उच्च रक्तचाप नियंत्रण में होता है। 7. अनारदाना के रस में थोड़ी सी काली मिर्च पाउडर + शहद मिलाकर लें। 8. पारिजात के फूलों को पानी आधा रह जाने तक उबालें। इसे सुबह पिएँ । ★ Note - कोई भी Remedies लेने से पूर्व डॉक्टर की राय लेकर ही ऊपर की कोई Remedies फॉलो करे. क्योंकी सबकी अलग अलग प्रकृति होती है BP के अलग अलग कारण होते है उस हिसाब से Remedies ली जाती है।

|| धनिया के फायदे और औषधीय उपयोग ||

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 धनिया के फायदे और औषधीय उपयोग :  1. जोड़ों में दर्द : जोड़ों में दर्द अक्सर शरीर में गैस के बढ़ जाने के कारण होता है। कभी-कभी बलगम की प्रकृति भी अधिक बढ़ जाती है। खून में रोग भी पैदा हो जाता है। ऐसी दशा में धनिया का चूर्ण तथा सोंठ के चूर्ण को शहद के चूर्ण के साथ मिलाकर चटाना चाहिए।  2. दस्त व कब्ज : हरा धनिया, काला नमक, कालीमिर्च को मिलाकर चटनी बनाकर चाटने से लाभ मिलता है। यह चटनी सुपाच्य रहती है। उल्टी में धनिये को मिश्री के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। पिसे हुए धनिये को सेंककर 1-1 चम्मच पानी से फंकी लेने से दस्त आना बंद हो जाता है। दस्तों में आंव, मरोड़, उल्टी, गर्भवती की उल्टी आदि आना बंद हो जाती है।  3. शरीर में जलन : रात को 4 चम्मच धनिया और इतने ही चावल पानी में भिगों दें। इन्हें सुबह गर्म करके पीयें अथवा रात को धनिया भिगों दें और सुबह के समय मिश्री डालकर पीसकर छानकर पियें। इससे शरीर की गर्मी और पेट की जलन नष्ट हो जाती है।  4. दमा-खांसी : धनिया और मिश्री को पीसकर चावलों के पानी के साथ सेवन करने से दमा और खांसी के रोग में लाभ मिलता है।   5. चेच...

|| जलने पर आयुर्वेद में प्राथमिक उपचार ||

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 जलने पर आयुर्वेद में प्राथमिक उपचार !  ● किसी भी कारणवश जलने पर जले हुए भाग पर तुरंत ही घी लगाएं । दाह उसी क्षण थम जाता है । वैद्य लोग पैर में होनेवाले गोखरू (फुट कॉर्न) जलाकर निकालने के लिए ‘अग्निकर्म’ करते हैं । इसमें लोहे की सलाई लाल होने तक गरम कर, उससे गोखरू जलाया जाता है I  ● तप्त (गरम की हुई) लोहे की सलाई का तापमान ७०० अंश (डिग्री) सेल्सिअस होता है । एक गोखरू निकालने के लिए यह उपचार एक बार ही करना होता है । तपती हुई सलाई के पश्चात वैद्य उस स्थान पर तुरंत ही देसी घी लगाते हैं । इतनी गरम सलाई से जल जाने पर भी देसी घी लगाने पर अगले ही क्षण दाह शांत हो जाता है, इतना देसी घी प्रभावशाली है ।  ● देसी घी अमृत समान होने से उसे घर पर अवश्य रखें ! सर्पिः वातपित्तप्रशमनानाम् (श्रेष्ठम्) ।’ ऐसा चरकसंहिता में (अध्याय २५, श्लोक ४० में चुनिंदा अंश) बताए हैं । ‘देसी घी यह वात एवं पित्त के विकार दूर करने में सर्वश्रेष्ठ है’, ऐसा इसका अर्थ है ।  ● दैनंदिन आहार में, इसके साथ ही विविध रोगों की आत्ययिक अवस्थाओं में (इमर्जन्सी में) देसी घी का बहुत अच्छा उपयोग होता है । ऐसा घ...

|| आयरन की कमी के संकेत और उसके उपचार ||

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□ आयरन की कमी के संकेत और उसके उपचार:   ♤ आयरन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है, जो हमारी शरीर के लिए खून बनाने में मदद करता है। यदि शरीर में आयरन की कमी होती है तो कुछ संकेत दिखाई देते हैं जो निम्नलिखित हैं:   1. थकान और कमजोरी   2. लाल रक्त कोशिकाओं की कमी जिससे  3. त्वचा फीकी दिखती है   4. नाखूनों में छोटी-छोटी लकीरें बुखार और सामान्य बीमारियों का अधिक हो जाना  ◇ इन संकेतों के साथ-साथ, यदि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो इन उपचारों का भी सहारा ले सकते हैं:  1. आयरन युक्त आहार खाएं जैसे कि हरे पत्ते वाली सब्जियां, अंडे, अखरोट, मेवे, अंगूर आदि।  2. विटामिन सी युक्त आहार जैसे कि संतरा, नींबू, टमाटर आदि खाएं जो आयरन को अधिक अवशोषित करने में मदद करते हैं।  3. आयरन युक्त खाद्य सप्लीमेंट लें जो आपके चिकित्सक द्वारा सुझाए जाने पर उपलब्ध हो सकता है। 

|| दिल की बीमारियों को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ सरल उपाय ||

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  दिल की बीमारियों को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ सरल उपाय हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी है।   1. स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार लेना बहुत जरूरी है, जिसमें फल, सब्जी, दाल, अनाज, समुद्री खाद्य पदार्थ, हरी चाय और जमीनी फल होते हैं। आपको अधिक से अधिक तेल, मक्खन, चीनी, मीठाई और अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए।  2. नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है जैसे कि रोजाना 30-45 मिनट का व्यायाम करना। आपको जोगिंग, योग, वॉकिंग और स्विमिंग जैसे शारीरिक गतिविधियों को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए।   3. तंबाकू, शराब और नशे का सेवन रोकें: तंबाकू, शराब और नशे का सेवन दिल की बीमारियों को बढ़ावा देता है। इसलिए इन चीजों से दूर रहना चाहिए।  4. स्ट्रेस से दूर रहें: स्ट्रेस दिल की समस्याओं का मुख्य कारण होता है। आपको स्ट्रेस से दूर रहने के लिए ध्यान, मेडिटेशन और योग जैसी तकनीको |

* Cervical Spondylosis *

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  साइकिल स्पोन्डाइलाइटिस एक आम और प्रभावी आंतरिक रोग है जो रीढ़ की हड्डी और अन्य संबंधित जोड़ों को प्रभावित करता है। यह एक प्रकार का अन्यार्थ्राइटिस है जो धीमी गति से विकसित होता है और स्वयं को लंबे समय तक देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है। इस रोग के लक्षण में बेहद दर्द, स्टिफनेस, और दिनभर की थकान शामिल होती है। इसका इलाज आमतौर पर दवाओं, व्यायाम, और विशेषज्ञ के सलाह और उपचार से होता है। अगर आपको इस रोग के लक्षण महसूस होते हैं, तो अपने चिकित्सक से जांच करवाएं और अपने उपचार के बारे में जानकारी लें।

|| (डायबिटीज) मधुमेह के लिए कुछ घरेलू उपाय ||

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 Madhumeh (डायबिटीज) मधुमेह के लिए कुछ घरेलू उपाय हैं। यहां कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जो मदद कर सकते हैं:   1. करेले का उपयोग: करेले में चार अलग-अलग प्रकार के लोह और विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है। करेले का रस पीना मधुमेह के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।  2. मेथी के बीज: मेथी के बीज मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इन्हें भिगो कर रखें और फिर सुबह-शाम इन्हें खाएं।   3. अमरूद का पत्ता: अमरूद के पत्तों को धोकर छान लें और उन्हें शीशी में भरकर रखें। रोज एक चम्मच अमरूद के पत्ते के रस को दूध के साथ पीने से मधुमेह कम होता है।  4. जामुन: जामुन के बीज का पाउडर और जामुन के पत्ते को पानी में उबालकर पीने से मधुमेह कम होता है।  5. नीम के पत्ते: नीम के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से मधुमेह कम होता है।

|| पुल्मोनरी एम्बोलिज़म ||

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 फुफ्फुसीय अंतःशल्यता ऐसी स्थिति जिसमें फेफड़ों में एक या अधिक धमनियां रक्त के थक्के द्वारा अवरुद्ध हो जाती हैं।  पल्मोनरी एम्बोली आमतौर पर थ्रोम्बी या थक्का से उत्पन्न होती है जो निचले छोरों की गहरी शिरापरक प्रणाली में उत्पन्न होती है; हालाँकि, वे शायद ही कभी श्रोणि, वृक्क, ऊपरी छोर की नसों या दाहिने हृदय कक्षों में उत्पन्न होते हैं। फेफड़े की यात्रा के बाद, बड़े थ्रोम्बी मुख्य फुफ्फुसीय धमनी या लोबार शाखाओं के द्विभाजन पर टिक सकते हैं और हेमोडायनामिक समझौता कर सकते हैं | लक्षण: • सांस लेने में कठिनाई • तेजी से साँस लेने • सीने में दर्द जो गहरी सांस लेने पर बढ़ सकता है • तीव्र हृदय गति • हल्का सिरदर्द और/या बेहोशी • खूनी खाँसी यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें।

|| हिंदू धर्म || परंपरा || भारत || इतिहास ||

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|| आयुर्वेद के फायदे अपने दैनिक जीवन मैं ||

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